
जब लिंचिंग पर बोले थे पीएम मोदी- रोज ऐसी घटनाएं होती हैं… तवलीन सिंह ने सार्वजनिक कीं निजी मुलाकात की बातें
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2014 में पहली बार केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद हुईं मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) की घटनाओं को लेकर खूब हंगामा मचा। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ही राजस्थान के अलवर में पहलू
खान नाम के शख़्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने देश-दुनिया का ध्यान खींचा। कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी यह मामला उठा और इस बात पर भी बहस हुई कि आखिर क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी साफ शब्दों में ऐसी घटनाओं पर नहीं बोलते हैं।
अब वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी से अपनी एक निजी मुलाकात का ब्योरा सार्वजनिक किया है और बताया है कि जब उन्होंने प्रधानमंत्री से लिंचिंग को लेकर सवाल पूछा था तो उन्होंने
(पीएम ने) क्या जवाब दिया था। ‘द प्रिंट’ ने तवलीन सिंह की हालिया किताब ‘Messiah Modi: A Tale of Great Expectations’ का एक अंश इसके प्रकाशक हार्पर कॉलिन्स की अनुमति से छापा है। इस किताब में
तवलीन सिंह ने पीएम से अपनी मुलाकात का जिक्र भी किया है।
तवलीन सिंह के मुताबिक, पहलू खान मामले से ठीक साल भर पहले यानी 2016 में उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई थी। वे पीएम को अपनी किताब ‘India’s Broken Tryst’ की कॉपी भेंट करने गई
थीं। तवलीन सिंह ने पीएम से इस निजी मुलाकात के दौरान बातों-बातों में पूछा कि आखिर लिंचिंग जैसे मुद्दे पर वे इतना कम क्यों बोलते हैं? प्रधानमंत्री ने जवाब दिया, ”बात ये है कि देश में हर दिन
कुछ न कुछ भयानक होता है। ऐसे में मैं हर चीज पर बात करने लग जाऊं तो और कुछ नहीं कर पाऊंगा”।
मीडिया पर भी जताई थी नाराजगी: पीएम मोदी ने तवलीन सिंह से बातचीत के दौरान यह भी कहा था कि मीडिया उनके साथ भेदभाव करता है उनसे कैसे डील की जाए, समझ में ही नहीं आता है? उन्होंने (पीएम ने) तवलीन
सिंह से एक पुराना किस्सा भी साझा किया और बताया कि जब वे गुजरात के सीएम थे, तब एक पत्रकार ने यह कहकर उनकी आलोचना की कि वे महंगे चश्मे और घड़ियां पहनते हैं।
बाद में उस पत्रकार को अहमदाबाद में उन दुकानों पर भेजा, जहां से वे चश्मे और घड़ियां खरीदते थे, ताकि वह जान सके कि उनकी कीमत कुछ खास नहीं है। यहां तक कि पत्रकार को उस दर्जी के पास भी भेजा जो
उनके (पीएम) के कपड़े सिलता था। ताकि वह सच्चाई लिख सके। पीएम ने कहा कि मुझे उम्मीद थी कि वो जर्नलिस्ट बाद में सच्चाई लिखेगा, लेकिन उसने ऐसा कभी नहीं किया।
पीडीपी चीफ ने कहा कि उनकी वापसी एक सामूहिक जिम्मेदारी है, न कि केवल सरकार की। उन्होंने सोमवार को राजभवन में उपराज्यपाल को एक पत्र सौंपा, जिसमें कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए सत्तारूढ़
सरकार द्वारा किए जा सकने वाले प्रयासों का विवरण दिया गया है।