
संपादकीय: सर्दी का सितम
- Select a language for the TTS:
- Hindi Female
- Hindi Male
- Tamil Female
- Tamil Male
- Language selected: (auto detect) - HI
Play all audios:
पूरा उत्तर भारत कड़ाके की ठंड से ठिठुर रहा है। सर्दी के पुराने रिकार्ड टूट रहे हैं और नए बन रहे हैं। राजधानी दिल्ली में इस बार दिसंबर की सर्दी ने एक सौ बारह साल का रिकार्ड तोड़ डाला। शनिवार को
दिल्ली में अब तक का सबसे ठंडा दिन दर्ज किया गया। पहाड़ी इलाकों की बात करें तो कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के ज्यादातर इलाकों में तापमान शून्य नीचे बना हुआ है। उत्तराखंड के ऊंचाई वाले
इलाकों में बर्फीले तूफान की वजह से हालात ज्यादा गंभीर हैं। नदी-नाले जम गए हैं। मैदानी इलाकों में भी कई जगह पारा शून्य से नीचे है। राजस्थान के कई हिस्सों में तापमान शून्य के करीब पहुंच जाने
से पानी जमने लगा है। उत्तर भारत के ज्यादातर मैदानी इलाकों का तापमान शिमला से भी कम हो गया है। इसी के साथ कोहरे की मार भी पड़ रही है। कई जगह घने कोहरे की वजह से सड़क हादसों में लोग मारे गए हैं।
ये हालात बता रहे हैं कि चाहे पहाड़ी क्षेत्र हों या मैदानी, कड़ाके की ठंड ने हर जगह लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। तेज ठंड में मरीजों खासतौर से बुजुर्गों और बच्चों की हालत बिगड़ती है और
अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ने लगती है। सर्दी से होने वाली मौतों के आंकड़े का तो सही-सही पता ही नहीं लगाया जा सकता। इन सबसे तो लगता है कि सर्दी का मौसम कहीं ज्यादा ही मुश्किलों भरा होता जा
रहा है। मौसम की ये मार अभी तो शुरू हुई है। ऐसा मौसम मकर संक्रांति तक रहता है। सर्द हवाएं, बर्फबारी, बारिश, इनसे होने वाली मुश्किलें और नुकसान कोई अब कोई नई बात नहीं रह गई हैं। नई बात यह है
कि पिछले कुछ सालों में ठंड की अवधि और तीव्रता दोनों में बदलाव आया है। हर साल सर्दी किसी न किसी रूप में पिछले रिकार्ड को तोड़ रही है। कभी किसी दिन के अधिकतम या न्यूनतम तापमान को लेकर, तो कभी
बर्फवारी के वक्त को लेकर। करीब तीन दशक पहले तक तो सर्दी की अवधि औसतन चार से पांच महीने रहती थी, लेकिन अब सर्दी कुछ दिन ही पड़ती है, लेकिन पहले की तुलना में कहीं ज्यादा मारक हो गई है। आमतौर पर
दिसंबर का महीना भी कड़ाके की ठंड का अहसास नहीं कराता, अक्तूबर और नवंबर के महीने में तो पंखे चलते हैं। लेकिन इस बार दिसंबर के तापमान ने सदी का रिकार्ड तोड़ डाला। पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी
का समय भी बदला है। दरअसल मौसम चक्र बदल रहा है, इसी से मौसम का मिजाज भी बदला है और इससे भारत ही नहीं, पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है। सवाल सर्दी के मौसम में होने वाली उन समस्याओं को लेकर है
जिनका हम हर साल सामना करते हैं। लेकिन अगली बार वैसी मुश्किलों का सामना न करना पड़े, इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाते। इसी कड़ाके की ठंड में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर सोने को मजबूर हैं, जिन्हें
सरकारी रैनबसेरों तक में जगह नहीं मिलती, खाना तो दूर। सर्दी जनित बीमारियां गरीब लोग इसलिए नहीं झेल पाते कि उनके पास अस्पताल जाने तक के भी पैसे नहीं होते। ऐसे में गरीब को सर्दी मारती है।
दिल्ली जैसे दूसरे शहरों में ठंड इसलिए भी ज्यादा घातक साबित हो रही है क्योंकि ये शहर गंभीर प्रदूषण की मार झेल रहे हैं, इनकी हवा जहरीली हो चुकी है, लोग सांस नहीं ले पा रहे। ऐसे में सर्दी से
बचाव के उपाय ज्यादा जरूरी हैं जो हम कर नहीं पाते।