
कमजोर मानसून का फसलों की बुआई पर असर, पिछले साल से 9% हुई गिरावट
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सरकारी विरवरण के मुताबिक इस बार सबसे ज्यादा गिरावट मोटी फसलों में आई है। जिन क्षेत्रों में अनुबंधित कृषि थी वहां पर खास प्रभाव दिखा। जैसे 3.82 lakh हेक्टेक्अर में लगभग 37% होने वाली कॉटन इस
बार सिर्फ 18% ही बोई गई है। 4.71 हेक्टेअर में बोया जाने वाला चावल इस बार 4% तक ही बोया गया है। वहीं दालों का भी ग्राफ करीब 10% नीचे गया है। इसके अलावा खरीफ फसल भी 82.27 लाख हेक्टेअर से
घटकर 75.10 लाख हेक्टेअर पर आई है। अधिकारियों का कहना है कि इस बार मानसून देर से आने की वजह से यह हालत हो रही है। मौसम विभाग ने जून और सितंबर की बारिश को लेकर करीब 12% का घाटा आंका है। इसके
साथ ही कहा कि मानसून दक्षिण गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडीसा, वेस्टबंगाल, झारखंड, बिहार, अगले 5 दिनों में बारिश होने के पूरे आसार है।
वहीं इस संबंध में नेशनल सेंट्रल फॉर मीडियम रेंज वेदर फारकास्टिंग एंड एक्िटंग डायरेक्टर जनरल इंडया मेटोनॉलाजिकल डिपार्टमेंट की डायरेक्टर स्वाती बसु के मुताबिक मानसून ने मुंबई को कवर किया है।
इसके साथ ही मानसून व प्री मानसून ने भारत के पश्िचम दक्षिण और उत्तरी भारत के कई हिस्सों को कवर किया है। जिससे हम लोग उम्मीद कर सकते हैं कि आगामी दो तीन दिन मे होने वाली बारिश उत्तर और
मुख्य भारत को पूरी तरह से कवर करेगा। वहीं इस संबंध में एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री ऑफिशियल का कहना है कि साधारण तौर पर मानसून महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश के ओडीशा, वेस्ट बंगाल में 10 जून तक आ जाता था,
लेकिन इस बार इसने काफी देर कर दी है।