..और बिरसा चौक बन गया अनंत चौक

..और बिरसा चौक बन गया अनंत चौक


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- बिरसा चौक पुलिस छावनी में हुई तब्दील, पुलिस ने ली घर की तलाशी


PATNA: ये राजधानी का सबसे उपेक्षित चौक है। इस चौक पर बिरसा मुंडा की भव्य प्रतिमा है। लाइट आदि भी टूटे हैं बिरसा के चारों ओर। बिरसा खड़े हैं अपने गठीले बदन और मजबूत इतिहास के साथ। उलगुलान


विद्रोह वाले बिरसा। बिरसा की जयंती पर भी इतनी भीड़ यहां कभी नहीं जुटती जितनी अनंत सिंह के घर की तलाशी लेने की वजह से जुटी थी। पुलिस अनंत सिंह के गार्डेन से लेकर घोड़े के अस्तबल बाकी जानवरों


के बाड़ तक घुसी और चार घंटे के सर्च अभियान के बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया। बिरसा चौक पर पहले से नेशनल से लेकर रिजनल चैनलों के ओवी वैन की छतरियां अनंत लाइव दिखाने के लिए उठी हुई थीं। अनंत


के हनक की कई कहानियां पॉलिटिक्स से लेकर पुलिस और अपराध की दुनिया तक हैं। अनंत पर पुलिस की दबिश ऐसी बनेगी ये किसने सोचा भी नहीं था। जब जीतन राम मांझी सीएम थे तब क्या-क्या नहीं कहा था अनंत ने।


पत्रकारों को पीटने से लेकर नेताओं को हड़काने तक की कथाएं लोग एक-दूसरे को सुनाते रहे हैं।


अनंत ने हाथी के एक बच्चे को पाल रखा है। वह हाथी का बच्चा हर दिन घू्मता है सेक्रेटारिएट के एरिया में। कभी-कभी बेली रोड पर भी। हाथी के साथ महावत भी होता है। हाथी को देखकर लोग समझ जाते थे कि यह


अनंत का है। अनंत सिंह को घोड़ों का काफी शौक है। उसने एक बग्घी भी बनवायी। इसे राष्ट्रपति की बग्घी वाला लुक दिया गया है। बग्गी पर जब अनंत ने सवारी की तो टीवी पर भी छा गए थे। अनंत को मालूम है


कि वह खबरों में बिकने वाली एक चीज भी हैं।


आज अनंत न तो अपने बग्घी पर थे और ना घोड़े पर। अनंत पुलिस की निगरानी में थे। पुलिस कुदाल-फावड़ा लेकर उसके घर की बगिया तक को कोड़ डालने को तैयार थी। वन विभाग की टीम जानवर देखने पहुंची और


गोताखोर भी पहुंचे तालाब खंगालने। अनंत नीले रंग के कुरते में अपनी ऐंठी हुई मूंछों के साथ ये कहते दिखे कि मैं बेकसूर हूं। अनंत पुलिस की जिप्सी पर थे। अनंत को अरेस्ट कर गाड़ी आगे बढ़ी तो बिरसा


की नजर उन पर पड़ी। बिरसा भी सोच रहे होंगे अंग्रेजों की पुलिस ने उन्हें कैसे घेरा था। उससे कई गुणा ज्यादा संख्या में पुलिस अनंत को घेरने आ गई। इतना ताकतवार कैसे हो गया अनंत की पुलिस को भी


वज्रवाहन के साथ चार घंटे की कसरत करनी पड़ी। लालू-नीतीश की राजनीति बिहार में ख्भ् साल चली। बिरसा चौक पर अनंत सिंह जिंदाबाद के नारे गूंजते रहे। बिरसा देखते रहे सब कुछ लाइव। पीठ पीछे क्या-क्या


होता रहा अनंत के कोठी में ये बिरसा से बेहतर कोई नहीं जानता। बिरसा को मालूम है राजनीति और पुलिस क्या चीज है। अब तक क्यों बचते रहे अनंत। क्यों लालू और पप्पू अनंत का विरोध कर रहे हैं? क्यों


नीतीश कुमार चुप हैं? जिन लोगों ने टीवी पर ये सब देखा उनमें से कइयों ने कहा- अनंत क्या हुए तोप हो गए। क्यों अनंत के नाम से कइयों की रूह कांप जाती है?